उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बुधवार को विपक्ष द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का विरोध करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि गरीब मुस्लिम समुदाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बड़ी उम्मीदें रखता है और इसे “70 साल बनाम मोदी कार्यकाल” की तुलना में देखा जाना चाहिए। उनका यह बयान विधेयक के विवादों के बीच आया है, जिसमें मुस्लिम संगठनों और विपक्ष ने कई प्रावधानों का विरोध किया है।
विधेयक का समर्थन क्यों कर रहे हैं शादाब शम्स?
शादाब शम्स ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक आवश्यक है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में गरीबों और अल्पसंख्यकों के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले की सरकारों ने वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग नहीं किया, जिससे गरीब मुस्लिम समुदाय को लाभ नहीं मिल पाया। “मोदी सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं,” उन्होंने जोड़ा।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध
विपक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) जैसे संगठन इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने जैसे प्रावधान मुस्लिम कानूनों के खिलाफ हैं।
इसके अलावा, जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों पर अधिकार देने और ट्रिब्यूनल की भूमिका को सीमित करने जैसे प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई गई है। AIMPLB ने चेतावनी दी है कि यदि यह विधेयक पारित हुआ तो वे राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे।
शादाब शम्स का दृष्टिकोण
शादाब शम्स ने इन विरोधों को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि गरीब मुस्लिम समुदाय को इस विधेयक से फायदा होगा क्योंकि यह पारदर्शिता लाएगा और भ्रष्टाचार पर रोक लगाएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह गरीबों के लिए एक नई शुरुआत है।”
उन्होंने आगे कहा कि “70 साल बनाम मोदी कार्यकाल” की तुलना दिखाती है कि पहले की सरकारें केवल वोट बैंक की राजनीति करती थीं, जबकि मौजूदा सरकार विकास और समावेशिता पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- विधेयक के प्रमुख प्रावधान: गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, जिला कलेक्टर को अधिकार देना, और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- विपक्ष का तर्क: मुस्लिम कानूनों के खिलाफ और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन।
- शादाब शम्स का समर्थन: गरीब मुस्लिम समुदाय के लिए फायदेमंद।