उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत प्रदेश के सभी सरकारी विभागों को सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप विकसित करने से पहले सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) की तकनीकी टीम से अनुमोदन लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और भविष्य में संभावित साइबर हमलों से बचाव के लिए उठाया गया है।
पृष्ठभूमि और आवश्यकता
पिछले वर्ष उत्तराखंड में हुए बड़े साइबर हमले के बाद, सरकार ने विभिन्न विभागों की वेबसाइटों, मोबाइल ऐप और सॉफ्टवेयर का विस्तृत विश्लेषण किया। इस दौरान यह पाया गया कि कई विभागों ने सिक्योर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट गाइडलाइंस और जीआईजीडब्ल्यू (GIGW) गाइडलाइंस का पालन नहीं किया था। इसके अलावा, अधिकांश एप्लीकेशन बनाने वाली फर्में अब अस्तित्व में नहीं हैं, जिससे विभागों के पास उनके सोर्स कोड की कोई जानकारी नहीं है। यह स्थिति साइबर सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही थी।
आईटीडीए की भूमिका
आईटीडीए उत्तराखंड की एक स्वायत्त एजेंसी है, जो राज्य की आईटी परियोजनाओं को राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के तहत मार्गदर्शन प्रदान करती है। आईटीडीए का मुख्य कार्य राज्य की आईटी पहलों को निर्देशित करना, निगरानी करना, विशेषज्ञ इनपुट प्रदान करना, मूल्यांकन करना और कार्यान्वित करना है। यह एजेंसी सरकारी विभागों को नागरिकों को प्रभावी ढंग से योजनाओं और सेवाओं को वितरित करने में मदद करती है।
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अनुमोदन प्रक्रिया और आवश्यकताएं
अब, उत्तराखंड के सभी सरकारी विभागों को नए सॉफ्टवेयर या मोबाइल ऐप विकसित करने से पहले आईटीडीए की तकनीकी टीम से अनुमोदन लेना होगा। यह अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही वे इसे विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे। आईटीडीए की मंजूरी के बिना कोई भी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन न तो बनाया जाएगा और न ही उसे किसी सर्वर पर होस्ट किया जा सकेगा।
सुरक्षा मानकों का पालन
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी सरकारी सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन केवल स्टेट डाटा सेंटर या सरकार द्वारा सूचीबद्ध क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर पर ही होस्ट किए जाएं। यदि कोई विभाग किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर अपने डेटा को होस्ट करता है, तो उसे पहले आईटीडीए से अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति के ऐसा करने पर विभाग के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और विभाग स्वयं किसी भी डेटा लीक या साइबर हमले की स्थिति में जिम्मेदार होगा।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय साइबर अपराधों को रोकने और सरकारी सिस्टम को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आईटीडीए की मंजूरी से न केवल सॉफ्टवेयर और ऐप की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह प्रदेश की साइबर सुरक्षा को भी मजबूत करेगी।
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