उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी नीति 2025: धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानों पर पाबंदी


उत्तराखंड में नई आबकारी नीति 2025: निवेश, रोजगार और राजस्व के नए आयाम

उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में नई आबकारी नीति 2025 को मंजूरी दी है, जिसमें राज्य के धार्मिक स्थलों के निकट शराब की दुकानों को बंद करने, ओवररेटिंग पर सख्त कार्रवाई करने और वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित करने जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं। यह नीति न केवल राजस्व बढ़ाने पर केंद्रित है, बल्कि निवेश और रोजगार को भी बढ़ावा देने का प्रयास करती है।

नई आबकारी नीति 2025 की मुख्य विशेषताएं:

  1. धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानें बंद होंगी :
    • नई नीति में राज्य के धार्मिक स्थलों के निकट स्थित शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। यह फैसला धार्मिक स्थलों की गरिमा और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
  2. ओवररेटिंग पर लाइसेंस रद्द होगा :
    • यदि कोई शराब की दुकान अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक दर पर शराब बेचती पाई जाती है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। यह नियम डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी लागू होगा, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।
  3. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राजस्व लक्ष्य :
    • इस नीति के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह लक्ष्य पिछले वर्षों की तुलना में अधिक है और राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।
  4. उप-दुकानों और मेट्रो मदिरा बिक्री प्रणाली का समापन :
    • नई नीति में उप-दुकानों और मेट्रो मदिरा बिक्री प्रणाली को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। यह बदलाव शराब की बिक्री पर अधिक नियंत्रण सुनिश्चित करेगा और अवैध गतिविधियों को रोकेगा।

निवेश और रोजगार पर प्रभाव:

नई आबकारी नीति न केवल राजस्व बढ़ाने पर केंद्रित है, बल्कि यह निवेश और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देने का प्रयास करती है। राज्य में शराब की दुकानों के लाइसेंस नवीनीकरण और नए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाने से स्थानीय व्यवसायों को फायदा होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

निष्कर्ष:

उत्तराखंड की नई आबकारी नीति 2025 राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और सामाजिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति से न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि धार्मिक स्थलों की गरिमा भी बनी रहेगी।









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