1984 सिख दंगों में सज्जन कुमार को मिली आजीवन कारावास की सजा, न्याय को मिली जीत!


सज्जन कुमार को आजीवन कारावास : 1984 के सिख दंगों में भूमिका का नतीजा

पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों में उनकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह फैसला राउस एवेन्यू कोर्ट ने सुनाया है, जो सज्जन कुमार के लिए दूसरी बार आजीवन कारावास की सजा है। सज्जन कुमार पर आरोप था कि उन्होंने दंगों को भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सज्जन कुमार की पृष्ठभूमि

सज्जन कुमार का जन्म 23 सितंबर 1945 को दिल्ली में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, और उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए चाय बेचनी पड़ी थी। बाद में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 1980 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़कर जीत हासिल की।

1984 के सिख दंगों में भूमिका

31 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों में सिख विरोधी दंगे शुरू हो गए। इन दंगों में सैकड़ों सिख मारे गए और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। सज्जन कुमार पर आरोप था कि उन्होंने दंगों को भड़काने के लिए भीड़ को उकसाया था। उन्होंने कई जगहों पर भाषण दिए, जिनमें सिखों के खिलाफ हिंसा करने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया।

न्यायिक प्रक्रिया और सजा

सज्जन कुमार के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन शुरुआत में उन्हें निचली अदालत ने बरी कर दिया था। हालांकि, सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की, जिसके बाद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अब राउस एवेन्यू कोर्ट ने भी उन्हें एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

नतीजा और प्रतिक्रिया

सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सिख समुदाय में राहत की भावना है। यह फैसला न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि कई लोगों का मानना है कि न्याय मिलने में बहुत देर हो गई। सज्जन कुमार के मामले ने एक बार फिर से 1984 के सिख दंगों की याद ताजा कर दी है और यह सवाल उठाया है कि ऐसे अपराधों में शामिल लोगों को न्याय के दायरे में लाने में इतना समय क्यों लगता है।

 



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