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देहरादून की बिंदाल नदी के किनारे बढ़ते अतिक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन ने संयुक्त टीमों के जरिए सर्वे शुरू किया है। हालांकि, अब तक गिनती के अवैध निर्माण ही चिन्हित हो पाए हैं, जिससे इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं।
सर्वे की प्रगति और चुनौतियां
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर नगर निगम ने बिंदाल नदी किनारे 2016 के बाद हुए अवैध निर्माणों को चिन्हित करने का कार्य शुरू किया है। इसके लिए जल संस्थान, सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग, नगर निगम और एमडीडीए की चार संयुक्त टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नदी क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों की सटीक पहचान हो सके।
हालांकि, सर्वेक्षण के दौरान टीमों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें पुराने खसरा नंबरों की जांच, क्षेत्रीय विवाद और स्थानीय निवासियों का विरोध प्रमुख हैं। पटेलनगर, तिलकनगर और बिंदाल पुल जैसे इलाकों में कुछ अवैध निर्माण चिन्हित किए गए हैं, लेकिन अभी भी कई क्षेत्र सर्वे से बाहर हैं।
अवैध निर्माण पर कार्रवाई की दिशा
बिंदाल नदी क्षेत्र में अतिक्रमण रोकने का यह प्रयास रिस्पना नदी पर हुई कार्रवाई के बाद शुरू हुआ है। कोर्ट के आदेशानुसार, सरकार को जल्द से जल्द इस क्षेत्र की रिपोर्ट सौंपनी होगी ताकि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
हालांकि, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन पुनः अतिक्रमण होने से समस्या जटिल बन रही है।
भविष्य की योजनाएं
सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाई हैं। इनमें नदी क्षेत्र को पुनः संरक्षित करना और अवैध निर्माणों को हटाने के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना शामिल है। इसके अलावा, शहर में ट्रैफिक दबाव कम करने और बिंदाल व रिस्पना नदियों के विकास के लिए एलिवेटेड कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं पर भी काम किया जा रहा है।
निष्कर्ष
बिंदाल नदी किनारे अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया धीमी जरूर है, लेकिन यह देहरादून के पर्यावरण और नगरीय विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासनिक स्तर पर समन्वय बढ़ाने और स्थानीय लोगों को जागरूक करने से इस प्रक्रिया को गति मिल सकती है।
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