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उत्तराखंड सरकार ने राज्य में मिलेट (मंडुआ और झंगोरा) की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष मिलेट नीति तैयार करने का निर्णय लिया है। यह नीति पारंपरिक अनाजों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
मिलेट नीति का उद्देश्य
इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में मंडुआ और झंगोरा जैसे मोटे अनाजों की खेती को पुनर्जीवित करना है। इसके तहत:
- खेती के लिए क्षेत्र विस्तार किया जाएगा।
- किसानों को बीज और अन्य संसाधनों पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन दिया जाएगा, ताकि वे इन अनाजों का संग्रहण और प्रसंस्करण कर सकें।
सरकार की योजनाएं
- सब्सिडी: किसानों को 80% सब्सिडी दी जाएगी, जिससे बीज और अन्य संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
- मंडुआ और झंगोरा का वितरण: राशन कार्ड धारकों को मंडुआ मात्र ₹1 प्रति किलो में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, झंगोरा को मध्याह्न भोजन योजना में शामिल किया जाएगा।
- प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना: ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जिससे किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिल सके।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि, पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाना और पलायन जैसी समस्याएं इस योजना के कार्यान्वयन में बाधा बन सकती हैं। सरकार ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आधुनिक तकनीकों और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया है।
भविष्य की संभावनाएं
मिलेट नीति न केवल राज्य के किसानों के लिए आर्थिक अवसर पैदा करेगी, बल्कि खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि को भी बढ़ावा देगी। यह नीति उत्तराखंड को भारत में मोटे अनाजों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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