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उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी नीति से रिकॉर्ड राजस्व की प्राप्ति हुई है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। इस नीति के तहत शराब निर्यात में भी वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे राज्य के व्यवसायियों और सरकार को फायदा हुआ है। उत्तराखंड आबकारी विभाग के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार शराब बिक्री और शराब कर संग्रह में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।
नई आबकारी नीति से राजस्व में उछाल
उत्तराखंड सरकार ने 2024-25 के लिए अपनी आबकारी नीति में बदलाव किए, जिसके चलते शराब बिक्री में जबरदस्त इजाफा हुआ। नीति में कर सुधार और नए लाइसेंसिंग प्रावधान शामिल किए गए, जिससे राज्य को भारी राजस्व लाभ हुआ।
सरकार के अनुसार, उत्तराखंड में शराब बिक्री से अब तक का सबसे अधिक राजस्व संग्रह दर्ज किया गया है। आबकारी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार राजस्व में लगभग 15% की वृद्धि देखी गई है।
राजस्व वृद्धि के पीछे कारण
- हिमालयी जड़ी-बूटियों और जल संसाधनों का उपयोग: नई नीति के तहत उच्च गुणवत्ता वाली शराब का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें हिमालयी राज्य की समृद्ध वनस्पति और जल संसाधनों का उपयोग किया गया है।
- माइक्रो डिस्टिलेशन यूनिट्स: पहाड़ी क्षेत्रों में माइक्रो डिस्टिलेशन यूनिट्स स्थापित करने से स्थानीय निवेश और नवाचार को प्रोत्साहन मिला है।
- विदेशी शराब की बॉटलिंग: पहली बार विदेशी शराब की बॉटलिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे उत्तराखंड अब उपभोक्ता राज्य से निर्माता और निर्यातक राज्य में बदल रहा है।
शराब निर्यात में भी हुआ इजाफा
नई नीति के तहत, उत्तराखंड से विभिन्न राज्यों में शराब निर्यात को भी बढ़ावा मिला है। पहले जहां राज्य में शराब की खपत ही प्रमुख थी, वहीं अब सरकार ने उत्पादन को बढ़ावा देकर अन्य राज्यों में निर्यात की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
उत्तराखंड में निर्मित देसी और विदेशी शराब की मांग दूसरे राज्यों में भी बढ़ी है, जिससे प्रदेश को अतिरिक्त राजस्व लाभ प्राप्त हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के इस कदम से स्थानीय शराब उद्योग को भी मजबूती मिली है।
सरकार के प्रयास और भविष्य की योजनाएँ
उत्तराखंड सरकार आगे भी आबकारी नीति को और अधिक पारदर्शी और लाभदायक बनाने की दिशा में काम कर रही है। भविष्य में डिजिटल लाइसेंसिंग, ई-नीलामी और शराब कारोबार में सुधार के लिए कई नई योजनाएँ लाई जा सकती हैं।
सरकार का लक्ष्य अवैध शराब कारोबार को रोककर राजस्व घाटे को कम करना और राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है। इस नीति से आने वाले वर्षों में उत्तराखंड का शराब उद्योग और अधिक विस्तार पा सकता है।
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